भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ जय गिरिजा पति https://spencerwtbxv.ktwiki.com/937380/lyrics_shiv_chalisa_secrets